काहे के राम ?
द्वन्द - प्रतिद्वंद में फँसा हिन्दू समाज जब सनातनीं सभ्यता को धर्म के ठेकेदारों और चरमपंथियों के हवाले कर दिया हो और जहाँ भगवानगिरी का व्यवसाय चरम सीमा को पार कर गया हो, तो कैसे धर्म के भँवरजाल में फँसे मनुष्य का पथ प्रदर्शन कलयुग में मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम कर पायेंगे । यह यक्ष प्रश्न समस्त मानव समाज को विचलित कर रखा है । इस यक्ष प्रश्न की महत्ता और भी बढ़ जाती है जब रामलला अयोध्या के भव्य मंदिर के गर्भगृह में विराजमान् है । मझधार में फँसें हिंदू समाज को जीवन कि वैतरणी और भवसागर से पार क्या श्रीराम् कर पायेंगे ? इस बार सीता कि नहीं बल्कि राम कि अग्निपरीक्षा है । क्या राम कि श्रेष्ठता रावण और असुरों के संघार के कारण हुई, या सत्य पर असत्य कि विजय दिलाने से ? यह प्रश्नचिन्ह हमारे मस्तिष्क में हमेशा कौतुहल करता है, शायद आप के भी । मैं जब इस प्रश्न के समाधान के लिए निरंतर तर्क वितर्क कर रहा था तो पाया कि प्रश्न में स्वयं उत्तर समाहित था । असल में राम के प्रति हमारी आस्था उनके द्वारा स्थापित मानवीय आदर्शों, मर्यादाओं एवं रामराज्य से जुड़ी है जो कि मनुष्य को भवतरणी से पार क